क्यों मर रहे है पक्षी होंकेश्वर वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी गिरावट जानिए इस बारे में सब कुछ

होंकेश्वर वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट  जानिए इस बारे में सब कुछ

आज इस विषय के बारे में सभी जानकारी आसान भाषा में जानेंगे में हूं आपका दोस्त सर्वेश राजपूत तो चलिए शुरू करते है

आपने बचपन में सुना होगा कि जो प्रकृति के अनुरूप नहीं चलता उसे प्रकृति से भारी नुकसान होता है 
इसी प्रकार कुछ पक्षियों की कहानी है अब मानव तो सर्दी लगने पर कंबल ओड लेता है लेकिन पक्षियों की क्या कभी सोचा है चलिए जानते है।

प्रवासी पक्छी क्या होते है  ?
प्रवासी पक्षी हर साल सैकड़ों और हज़ारों किलोमीटर की उड़ान भरते हैं. वे अपने बच्चों को पालने, प्रजनन करने, और बेहतर पारिस्थितिक स्थितियों की तलाश में ये यात्राएं करते हैं

 प्रवासी पक्षियों के बारे में अभी और बताता हूं 
 
प्रवासी पक्षी अलग-अलग समय पर प्रवास करते हैं. कुछ पक्षी रात में प्रवास करते हैं, जबकि कुछ दिन के समय प्रवास करते हैं. 
 
प्रवासी पक्षी कई कारणों से प्रवास करते हैं, जैसे कि भोजन की तलाश, प्रजनन, और बेहतर पारिस्थितिक स्थितियां. 
 
सर्दियों में हंस और बत्तख जैसे जलीय पक्षी और नौमान थ्रश जैसे छोटे पक्षी साइबेरिया से जापान आते हैं. 
 
गर्मियों में बार्न स्वैलो और ब्लू-एंड-व्हाइट फ़्लाईकैचर जैसे पक्षी जापान आते हैं. 
 
ऑस्प्रे भी पर्याप्त भोजन की तलाश में अपना वार्षिक प्रवास शुरू कर देता है. 
 
ब्लू टेल्ड बी ईटर एक रंगीन प्रवासी पक्षी है जो आमतौर पर गर्मियों में भारत आता है. 
 
प्रवासी पक्षियों के प्रवास को मौसम रडार डेटा का इस्तेमाल करके मॉनिटर किया जाता है. 
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर जिले में,13.75 वर्ग Km में फैला हुआ है।

दोस्तो हाल ही में जम्मूकश्मीर के होकेसर वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट आयी है 

आखिर कमी क्यू आ रही है।

इस गिरावट का प्रमुख कारण बारिश की कमी बतायी जा रही हैं जिससे वेटलैंड में पानी का स्तर प्रभावित हुआ है। बता दें कि भारतीय मौसम विज्ञान से विभाग के अनुसार कश्मीर में 81% वर्षा की कमी है स्थानीय विन्दो ने और पर्यावरण विदों ने इस स्थिति को चिंताजनक बताया

जल स्तर की कमी से प्रवासी पक्षियों के लिए आवश्यक जल और आहार उपलब्धता प्रभावित हो रही है। उल्लेखनीय है कि पक्षियों की संख्या में कमी का असर की बैटलैंड की जैव विविधता पर भी पड़ सकता है।

आइए जानते हैं कि प्रवासी पक्षियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है ? 

प्रवासी पक्षियों का आगमन सामान्यतः अक्टूबर- Nov. में वेटलैंड में आते हैं लेकिन इस साल पक्षियों की संख्या में कमी देखी जा सकती है। विशिष्ट प्रजातियों वाले जैसे पिटेल, मालाई, गड़वाल जैसी प्रजातियां कम संख्या में हैं। यहाँ पर जलस्तर सामान्य से कम हैं जिससे प्रवासन और प्रजनन प्रक्रियाओं को इस जल स्तर ये कमी होने से पर्याप्त कठिनाई होती है।


 होकेसर वेटलैंड क्या है 
  • यह एक रामसर स्थल है
  • यहां सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्छी विभिन्न देशों से आते हैं जैसे साइबेरिया, चीन, मध्य एशिया, यूरोप
  • यह प्रवासी पक्षियों का प्रमुख आवास है 
  • वेटलैंड्स की सुरक्षा हेतु उठाए जाने वाले कदम
  • ध्यान दें कि पर्यावरण विदों का मानना है कि वेटलैंड को सुरक्षित रखने के लिए जल स्तर बनाए रखने के उपाय जरूरी है। सरकारी पहन पर जल संरक्षण और नियमित आपूर्ति के लिए योजना निर्माण तथा अतिक्रमण को रोका जाए जिससे और स्थानीय जागरुकता बढ़ाने के प्रयास हो 

जल ही जीवन है. जल है तो कल है। कभी सोचा है ? जल नहीं होगा तो...